
योगी सरकार ने पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया को और सशक्त बनाया —उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय
* उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से स्वीकृति, अध्यक्ष पद की पात्रता में किया गया विस्तार
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 का प्रख्यापन कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के माध्यम से स्वीकृत कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा उच्च, माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभागों में सहायक आचार्य, टीईटी, टीजीटी, पीजीटी जैसी परीक्षाओं को पारदर्शी एवं शुचितापूर्ण ढंग से संचालित करने हेतु उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम, 2023 के तहत आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग सभी स्तरों पर शिक्षा सेवा से जुड़ी भर्ती परीक्षाओं को एकीकृत, निष्पक्ष और तकनीकी रूप से सुदृढ़ प्रक्रिया के माध्यम से संपन्न कराने के लिए जिम्मेदार है।
मंत्री उपाध्याय ने बताया कि आयोग की कार्य-संरचना और इसके बढ़ते दायरे को देखते हुए, अध्यक्ष पद पर नियुक्ति हेतु पात्रता का दायरा विस्तारित किया गया है। अधिनियम की धारा 4(2)(क) में संशोधन करते हुए पूर्व प्रावधान ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा का सदस्य हो या रहा हो और राज्य सरकार में प्रमुख सचिव का पद या उसके समकक्ष पद धारण किया हो’ के स्थान पर अब ‘राज्य सरकार में प्रमुख सचिव का पद या उसके समकक्ष पद पर हो या रहा हो’ प्रतिस्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का उद्देश्य है कि आयोग का नेतृत्व ऐसे अनुभवी, सक्षम और प्रशासनिक दृष्टि से दक्ष व्यक्तित्व को मिले, जो आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित परीक्षा प्रणाली को अपनाकर पारदर्शी और समयबद्ध भर्ती सुनिश्चित कर सके।





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